।।जय श्री राधे कृष्ण।।दिल की यही हसरत है, एक बार मुलाकात हो जाये।वर्षो से जो दिल में है, एक बार उनसे वो बात हो जाये।।by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब,******************************************दिल तड़पे उन बिन बहुत, गुनाहों की सजा भुगत रहे।होंगे किस हाल वो, उसी चिंता मे हम तो जले जा रहे।।******************************************वो अल्हड़ पवन सुन जरा, संदेश मेरा उन तक पहुँचा दे।ऐ काली घटा बास्ता अम्बर की, दर्द मेरा उनको बता दे।।*******************************************विरह कि जिस अग्नि मे, हम उनको जलता छोड़ चले थे।अपनो के खातिर लालच बस, हम उनसे मुँह मोड़ चले थे।।*******************************************वो अपने मेरे अब तुझको भूल चुके, सब मुझको भूल चुके।भीड़ मे भी मैं बहुत तन्हा हूँ , वो हँसना कब का भूल चुके।।********************************************तुम बिन तन्हा चलते चलते,मंजिल का पता मैं भूल चुका हूँ।देखो हालत मेरी मन दर्पण मे, मै अब कितना टूट चुका हूँ।।*********************************************देने आखिरी विदाई, कुछ पल के लिए हो सके तो आ जाओ।भुला दो रुसवाई, बास्ता है उस मोहब्बत का मान भी जाओ।।**********************************************है गिले शिकवे जो भी दिल मे, एकबार फिर उसे भुला दो।चला जाऊंगा जहां से, बस एकबार फिर आकर मुस्कुरा दो।।**********************************************निकल चुके शायद दूर इतने, कि अब वो मुलाकात संभव नही।लेकिन न मिल सके दुबारा, गर दिल चाहे मिलना तो असंभव नही।।,
।।जय श्री राधे कृष्ण।।
दिल की यही हसरत है, एक बार मुलाकात हो जाये।
वर्षो से जो दिल में है, एक बार उनसे वो बात हो जाये।।
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दिल तड़पे उन बिन बहुत, गुनाहों की सजा भुगत रहे।
होंगे किस हाल वो, उसी चिंता मे हम तो जले जा रहे।।
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वो अल्हड़ पवन सुन जरा, संदेश मेरा उन तक पहुँचा दे।
ऐ काली घटा बास्ता अम्बर की, दर्द मेरा उनको बता दे।।
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विरह कि जिस अग्नि मे, हम उनको जलता छोड़ चले थे।
अपनो के खातिर लालच बस, हम उनसे मुँह मोड़ चले थे।।
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वो अपने मेरे अब तुझको भूल चुके, सब मुझको भूल चुके।
भीड़ मे भी मैं बहुत तन्हा हूँ , वो हँसना कब का भूल चुके।।
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तुम बिन तन्हा चलते चलते,मंजिल का पता मैं भूल चुका हूँ।
देखो हालत मेरी मन दर्पण मे, मै अब कितना टूट चुका हूँ।।
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देने आखिरी विदाई, कुछ पल के लिए हो सके तो आ जाओ।
भुला दो रुसवाई, बास्ता है उस मोहब्बत का मान भी जाओ।।
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है गिले शिकवे जो भी दिल मे, एकबार फिर उसे भुला दो।
चला जाऊंगा जहां से, बस एकबार फिर आकर मुस्कुरा दो।।
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निकल चुके शायद दूर इतने, कि अब वो मुलाकात संभव नही।
लेकिन न मिल सके दुबारा, गर दिल चाहे मिलना तो असंभव नही।।
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