🌹आज का भगवद चिंतन - 754🌹
⭐ अपना धन खर्च करके भी दूसरों का कलह मिटाने की लगन⭐
दो भाइयों की पंचायत में सेठ जी ने बंटवारा किया। एक अंगूठी पर मामला अटक गया। दोनों उसे लेने पर अड़ गए। सेठ जी ने कहा - अंगूठी मेरे पास छोड़ दो, मैं विचार करूंगा। थोड़े दिन बाद एक भाई को बुलाकर अंगूठी दे दी तथा कहा दूसरे भाई को पता नहीं चलना चाहिए।
इसी प्रकार दूसरे भाई को भी अपने पास से वैसी ही अंगूठी बनवा कर दे दी कि पहले को पता नहीं चलना चाहिए। काफी दिनों बाद भेद खुलने पर वे भाई सेठ जी के पास आए और कहा आपने ऐसा क्यों किया । सेठ जी ने कहा- मेरे एक अंगूठी बनवाने से तुम्हारा झगड़ा मिट गया, आपस में कलह रहना भगवत्प्राप्ति में बाधक है।
नारायण! नारायण! नारायण! नारायण!
🙏❤️🌹जय श्री कृष्णा🌹❤️🙏
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