नटखट_कान्हा_और_उनकी_गोपियो_की_ कथा ☺
एक बार की बात है गोप बालाओं में यह चर्चा चल पड़ी कि कान्हा में केवल हम ही अनुरक्त हैं ,या कान्हा भी हम में आसक्त है, सभी गोपियो का मत था की वह चाहे आसक्त न हो पर प्रेम हमसे अवशय करता है
गोपियो की इस वार्ता में श्री राधा उपस्थित नही थी।तभी एक सखी बोली-सखियो आसक्त तो वह केवल किशोरी में ही है ।पर हम में भी उसका प्यार है।तभी और एक सखी बोली- उसे प्यार अवशय ह ,वर्ना वह हमे हँसाने रुलाने,खिजाने रिझाने हमारे सामने कयू आता?
वह नटखट जानता ह की हम उस से सुखी होती हैं।हमारे सुख से वह सुखी और प्रसन्न होता ह।एक सखी और् बोल उठी --अरी, चलो हम किशोरी को बुला लाये।उस से पूछ कर देखे क्या कहती ह वह।बस फिर क्या था सभी सहमत हो गयी।वे चल पड़ी किशोरी को बुलाने।
एक गोपी अपने साथ सखी को ले चल पड़ी ब्रसभानु बाबा के घर की ओर।अभी आधा ही मार्ग चली होंगी की उन्होंने देखा की राधिका स्वम् चली आ रही ह।उनका आज का सौंदर्य अधिक निखार रहा है।उनकी चाल मद् भरी और चपलता भरी है वह धीमी गति से चली आ रही हैं।
आरी कहाँ गयी
राधिका का स्वागत नही करोगी
आ गयी किशोरी
दोनों बोल उठी--अरी तू खुद ही आ गयी।हम तो तुझे बुलाने जा रही थी। राधिका मुस्कुराई और बोली--क्यों आज क्या कोई नई शरारत सूझी ह तुम्हे? यु तो मे तुम्हे याद आंने वाली नही। आओ चले।सखियां बोली--राधा बात तो तेरी सच्ची है ,आज तो सचमुच हम तुझे काम से ही बुलाने ही आई है ।
सखियां मुस्कुरा😊 कर बोली--इतना सच सिखाने वाला गुरु कोन सा है तेरा। जरा दिखा तो सही।राधा मुस्कुराई 😊और कहने लगी--उसे में कहाँ से दिखाऊ वह तो बही होंगे जहाँ तुम सब हो।क्यों ठीक ह ना।सखियां राधा जी बात सुन हस😃 पड़ी और बोली-- अभी तक तो था नही पर अब आ जायेगा। तू जो आ गयी है 😀😀
आज राधिका की आंखो में शरारत बढ़ती ही जा रही थि।आज चहेरे पर वह सदा वाला संकोच नही था। सखियां चकित 🤔थी आज राधा की नयनो की शरारत को देख कर।
राधिका बोली--अरी चलो भी, सब सखियां प्रतीक्षा करती होंगी।सखियां बोली--हा,हा,चल राधा हम तो तुझे देख कर सब भूल ही गयी थीं। अब तीनो चल पड़ी सखियो के पास।
सखियो को आश्चर्य था की आज राधा की चाल कुछ बदली सी है।🤔🤔पर यह गौर वर्ण ,यह सुकुमारिता तो किशोरी की ही है।पर आखो में चंचलता, चाल का टेढ़ापन और निसंकोच भाव उस छलिया का सा ही है। यह सोच🤔 कर
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