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Janmashtami Panjiri Recipes Janmashtami Prasad इस बार 19 अगस्त को जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। By वनिता कासनियां पंजाब इस खास मौके पर प्रसाद के लिए बनाई जाने वाली पंजीरी विशेष तौर से भोग के लिए बनाई और खाई जाती हैं। यह खाने में स्वादिष्ट तो होती ही है, साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है। आइए जानते हैं इस जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण से वरदान पाने के लिए बनाई जाने वाली 5 तरह की खास पंजीरियां, पढ़ें सरल विधियां... Panjiri Special Bhog1. धनिया-ड्राई फ्रूटस की पंजीरीसामग्री : 100 ग्राम साबुत खड़ा धनिया, 100 ग्राम पिसी शकर, छोटी पाव कटोरी कटे हुए मखाने, 25 ग्राम सूखे खोपरे के टुकड़े, काजू और बादाम की कतरन, 2-3 इलायची पिसी हुई, कुछेक किशमिश, 4-5 केसर के लच्छे, घी (अंदाज से)।विधि : सबसे पहले एक कड़ाही में छोटा आधा चम्मच घी गर्म करें। अब धनिया डालकर धीमी आंच पर भूनें। जब धनिए से खुशबू आने लगे तब आंच से उतारकर ठंडा कर लें।अब सभी मेवे भूनकर अलग रखें। धनिया ठंडा होने पर मिक्सी में बारीक बीस लें। अब इसमें पिसी शकर, तले मेवे और पिसी इलायची डालकर अच्छी तरह मिलाएं। केसर से सजाएं। लीजिए तैयार है शाही धनिया-ड्राई फ्रूटस की पंजीरी। अब इस प्रसाद से कान्हा जी को भोग लगाएं।2. राजगिरे की शाही पंजीरीसामग्री : 100 ग्राम राजगिरे का आटा, 150 ग्राम शक्कर बूरा, 50 ग्राम किशमिश, 100 ग्राम सभी प्रकार के मेवों की कतरन, आधा चम्मच पिसी इलायची, पाव कटोरी तला व बारीक कूटा हुआ गोंद, कुछेक किशमिश, 150 ग्राम घी।विधि : एक कढ़ाई में घी गरम कर राजगिरे का आटा डालकर धीमी आंच पर गुलाबी होने तक सेंक लें। सिका आटा थोड़ा ठंडा होने के पश्चात शक्कर बूरा और इलायची पावडर मिलाकर मिश्रण को एकसार कर लें।अब उसमें तला गोंद व मेवों की कतरन तथा किशमिश मिक्स कर दें। लीजिए तैयार है राजगिरे की राजशाही पंजीरी।3. बेसन की पंजीरीसामग्री : 100 ग्राम बेसन (चना आटा), शक्कर बूरा 150 ग्राम, मेवा कतरन 100 ग्राम, पाव कटोरी खसखस, चारोली 50 ग्राम, गोंद 25 ग्राम, घी 200 ग्राम, पिसी इलायची पाव चम्मच।विधि : घी को गरम कर गोंद तलकर रख लें। गरम घी में बेसन डालकर मध्यम आँच पर हल्का लाल होने तक सेंके। उसे थोड़ी देर ठंडा होने के लिए रख दें।अब उसमें शक्कर बूरा, खसखस, चारोली, तली गोंद व इलायची पावडर डालकर मिश्रण को एकसार कर लें। तैयार पंजीरी में मेवों की कतरन बुरका दें और भगवान को भोग लगाएं।4. सूखे धनिए की पंजीरीसामग्री : 100 ग्राम सूखा धनिया पावडर, 50 ग्राम मावा, खोपरा बूरा 50 ग्राम, शक्कर बूरा 100 ग्राम, 4-5 पिसी इलायची पावडर, मेवों की कतरन 50 ग्राम।विधि : सर्वप्रथम मावे को किसनी से कद्दूकस करके धीमी आंच पर थोड़ा सा सेंक लें। अब उसमें धनिया पावडर डालें व दो-पांच मिनट भून लें। मिश्रण थोड़ा ठंडा होने के बाद खोपरा व शक्कर का बूरा डालकर मिक्स कर लें। अब उसमें पिसी इलायची व मेवों की कतरन डालकर मिश्रण को एकसार कर लें। तैयार है धनिए की पंजीरी।5. शाही पंजीरी विथ खसखस और मेवासामग्री : 150 ग्राम सूजी, खोपरा बूरा 50 ग्राम, 200 ग्राम शक्कर बूरा, घी 150 ग्राम, बादाम 50 ग्राम, काजू 50 ग्राम, मखाने 50 ग्राम, पाव कटोरी खसखस, पाव कटोरी गोंद।विधि : एक कड़ाही में घी गरम करके सभी मेवों को तलकर रख लें। ठंडे होने के पश्चात उसको मिक्सी में बारीक पीस लें। इसी घी में सूजी डालकर धीमी आँच पर गुलाबी होने तक भून लें। सूजी हल्की गुनगुनी रहने पर उसमें शक्कर व खोपरे का बूरा तथा खसखस मिला दें। और साथ ही बारीक कूटे मेवे डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। लीजिए तैयार है कृष्ण की मनपसंद मेवा पंजीरी। dhaniya panjiri recipe


By वनिता कासनियां पंजाब

किसी भी व्यक्ति के साथ आकारण दुर्घटना, घर में इलेक्ट्रॉ निक वस्तुओं का बिना कारण के बार-बार खराब होना, बार-बार क्रोध आना क्रोध के कारण हिंसा, यह सब मंगल ग्रह के कारण होता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो मंगल आपकी जन्मपत्री में आपके पराक्रम को दर्शाता है,

व्यक्ति कितना मेहनती है अथवा कितना डरपोक है यह मंगल ग्रह के आकलन से पता चलता है। भले ही सामने से व्यक्ति बहुत बलवान दिखे लेकिन मंगल की स्थिति से यह पता लग जाता है कि व्यक्ति के अंदर कितना दाम है। मंगल बहुत सारी चीजों को दर्शाता है मंगल से छोटा भाई भी देखा जाता है, मंगल से रक्त संचार का संबंध भी है, स्त्रियों का मासिक धर्म मंगल और चंद्रमा के प्रभाव से जुड़ा हुआ है इसी प्रकार मंगल खराब होने पर दुर्घटना के कारण व्यक्ति का रक्त निकलता है, मंगल के प्रभाव से व्यक्ति को गुस्सा भी आता है इसलिए मंगल से क्रोध भी देखा जाता है यही सब मैंने ज्योतिष शास्त्र की शिक्षा के दौरान सीखा है मेरी ज्योतिष की शिक्षा ही मेरे उत्तर का मूल स्रोत है। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

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🌹🌳जय श्री राधे कृष्णा जी 🌹by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌳शुभ संध्या वंदना जी🌹🌳🥀🌲🥀🌲🥀#🌲🥀🙏_बिहारी_जी_का_आसन_"🙏🏻🌹.बहुत समय पहले कि बात है बिहारी जी का एक परम प्रिय भक्त था। वह नित्य प्रति बिहारी जी का भजन-कीर्तन करता था।🌳🌲🥀.उसके ह्रदय का ऐसा भाव था कि बिहारी जी नित्य उसके भजन-कीर्तन को सुनने आते थे।.एक दिन स्वप्न में बिहारी जी ने उससे शिकायत करते हुए कहा, तुम नित्य प्रति भजन-कीर्तन करते हो और मैं नित्य उसे सुनने आता भी हूं... 🌹🌳🌲.लेकिन आसन ना होने के कारण मुझे कीर्तन में खड़े रहना पड़ता है, जिस कारण मेरे पांव दुख जाते है, .अब तू ही मुझे मेरे योग्य कोई आसन दे जिस पर बैठ मैं तेरा भजन-कीर्तन सुन सकू।🌲🥀.तब भक्त ने कहा, प्रभु ! स्वर्ण सिंहासन पर मैं आपको बैठा सकूं इतना मुझमें सार्मथ्य नहीं और भूमि पर आपको बैठने के लिए कह नहीं सकता। .यदि कोई ऐसा आसन है जो आपके योग्य है तो वो है मेरे ह्रदय का आसन आप वहीं बैठा किजिये प्रभु।.बिहारी जी ने हंसते हुए कहा, वाह ! मान गया तेरी बुद्धिमत्ता को... 🌲🥀.मैं तुझे ये वचन देता हूं जो भी प्रेम भाव से मेरा भजन-कीर्तन करेगा मैं उसके ह्रदय में विराजित हो जाऊंगा।🌳🌲🥀.ये सत्य भी है और बिहारी जी का कथन भी। .वह ना बैकुंठ में रहते है ना योगियों के योग में और ना ध्यानियों के ध्यान में, वह तो प्रेम भाव से भजन-कीर्तन करने वाले के ह्रदय में रहते है।।🌳.बोलिए श्री बांके बिहारी लाल की जय....🙌🌺